यवतमाल. प्रकृति की मार से इस वर्ष खरीफ की फसल को बड़ा झटका लगा है. इसलिए कपास, सोयाबीन और तुअर की फसल का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ. राजस्व विभाग के ‘ रेडमली’ फसल सर्वेक्षण में यह बात उजागर हुई है. इसका परिणाम अंतिम पैसेवारी पर हुआ. जिले की फसल पैसेवारी 47 प्रतिशत के अंदर ही रही है. सभी 16 तहसीलों की पैसेवारी 50 फीसदी के अंदर ही है. इसलिए राजस्व प्रशासन के अंतर्गत यह संपूर्ण जिला सूखाग्रस्त घोषित किया गया है.
5 लाख हेक्टेयर में हुए थी कपास की बुआई
संपूर्ण जिले में 9 लाख हेक्टेयर में खरीफ की बुआई की गई थी. इसमें सर्वाधिक 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की बुआई की गई थी. प्रारंभ में कपास की फसल अच्छी स्थिति में थी, पर बारिश के रुठ जाने से फसल हाथ से चली गई. बारिश की कमी का कपास के उत्पादन पर भारी असर पड़ा. एक से दो क्विंटल के कपास पर ही किसानों को संतोष करना पड़ा. दीपावली के दौरान कपास पर गुलाबी इल्लियों ने हमला किया था. इसके कारण फसल खराब हुई.
सोयाबीन का लागत नहीं निकला
सोयाबीन को लेकर भी हालत खराब ही रही. ढाई लाख हेक्टेयर पर सोयाबीन की बुआई की गई थी. समय पर बारिश नहीं आने से सोयाबीन की फल्लियां सूख गई. इसके कारण आवश्यक प्रमाण में यह भी फसल नहीं हुई. किसानों का लागत खर्च भी नहीं निकल पाया है. सोयाबीन उत्पादक किसानों को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी. तुअर की फसल से किसानों की अंतिम आस थी, किंतु वह फसल भी पर्याप्त नहीं हुई. इल्लियों का आक्रमण और बेमौसम बारिश के साथ ठंड के चलते इसकी फसल खराब हो गई.
सूखे की स्थिति से बाहर निकलने के लिए जिले में ठोस उपाय की आवश्यकता है. विशेष बात यह है कि कृषि के साथ पूरक धंधा होने पर ही किसान ऐसी स्थिति से उबर सकेंगे. लगातार चौथे वर्ष जिले पर सूखे का साया है. इसके चलते किसान संकट में पड़ गया है.