आजकल पेट से संबंधित रोग काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. हर तीसरा व्यक्ति किसी न किसी पेट रोग से जूझ रहा है. खराब खानपान और योग-एक्सरसाइज के अभाव में अक्सर बच्चों में पेट के कीड़े और खराब पाचन शक्ति की समस्या देखने को मिलती है. आज हम आपको इससे छुटकारा दिलाने के लिए कुछ ऐसे योगासन बता रहे हैं जिन्हें यदि आप नियमित करेंगे तो आपको बहुत लाभ होगा.
कपाल भाति क्रिया करने के लिए समतल स्थान पर आसन में बैठ जाएं. अब पेट को ढीला छोड़ दें और तेजी से सांस बाहर निकालें और पेट को भीतर की ओर खींचें. हां सांस को बाहर छोड़ते और पेट को भीतर की ओर खींचने के बीच सामंजस्य रखें. शुरुआत में दस बार यह क्रिया करें, और फिर धीरे-धीरे 60 तक बढ़ा दें. बीच-बीच में विश्राम लेते रहें. कपाल भाति से फेफड़े के निचले हिस्से की प्रयुक्त हवा एवं कार्बनडाइ ऑक्साइड बाहर निकल जाती है और पेट पर जमी फालतू चर्बी खत्म होती है.
धनुरासन के अभ्यास से कब्ज, पीठदर्द, पेट की सूजन, थकान और मासिकधर्म के समय होने वाली समस्याएं दूर होती हैं. इसके अलावा धनुर आसन के अभ्यास से पूरा शरीर, खासतौर पर पेट, सीना, जांघें और गला आदि स्ट्रेच होते हैं. इस आसन से पीठ और पेट की मासपेशियां मजबूत होती हैं. धनुर आसन यूट्रस की ओर खून का संचार ठीक करता है और इससे पेट दर्द, पेट की सूजन आदि दूर होती हैं.
हलासन करने से रीढ़ की हडि्डयां लचीली बनी रहती हैं और शरीर में फूर्ती आती है. साथ ही इससे पेट की मांसपेशियों पर भी काम होता है और पेट बाहर नहीं निकलता है. हलासन के अभ्यास से पाचन तंत्र और मांसपेशियों को शक्ति मिलती है और पेट की सूजन में कमी आती है. इस आसन को करने से पाचन तंत्र ठीक रहता है.
मत्स्यासन करते हुए शरीर का आकार किसी मछली जैसा बनता है. इस आसन के नियमित अभ्यास से शरीर की थकान मिटती है और पेट की सूजन में भी आराम मिलता है. इसके अभ्यास से मासिकधर्म का दर्द और सूजन भी कम होते हैं. यह आसन पेट और पेडू को उत्तेजित कर पेट की गैस, सूजन और अपच से मुक्ति दिलाता है. इस आसन में शरीर का आकार नौका जैसा बन जाता है इसलिए ही इसे नौकासन कहते हैं. नौकासन करने के लिए मैट पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं. फिर सांस लेते हुए दोनों पैर ऊपर उठाएं और दोनों हाथों से पैर के पंजों को छूने का प्रयास करें. यानी पैरों को जमीन से 45-50 डिग्री एंगल पर उठाना होता है. कुछ सेकंड इस स्थिति में रहने के बाद सांस छोड़ते हुए सीधे लेट जाएं. तकरीबन 15 सेकंड के अंतर पर इस प्रक्रिया को लगभग पांच बार दोहराएं और धीरे-धीरे इसकी संख्या बढ़ाते जाएं. इसे अधिकतम 30 बार किया जा सकता है. लेकिन रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्या या फिर रक्तचाप के मरीज इस आसन को डॉक्टरी सलाह लेकर ही करें.